आमंत्रण और निमंत्रण में अंतर

क्या आपको मालूम है जयंती व जन्मोत्सव में अंतर ? 


दोस्तों सबसे पहले आप सभी का हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। आज हम आपको बताएंगे जयंती और जन्मोत्सव में क्या फर्क (अंतर) है?, आमंत्रण और निमंत्रण में क्या अंतर होता है? साथ ही यह भी बताएंगे कि किसकी जयंती होती है और किसका जन्मोत्सव होता है। जयंती शब्द का प्रयोग केवल सुखद घटनाओं के लिए ही किया जाता है। आइये सबसे पहले जानते है जयंती और जन्मोत्सव में क्या अंतर है?


सबसे पहले आपको यह बात दे कि जयंती उनकी मनाई जाती है जिनका जन्म हुआ और वह स्वर्गवासी हो गए है, उनकी हम जयंती मानते है और इसके ठीक विपरित जन्मोत्सव या जन्म दिवस हम उनका मानते है जो जन्म से अब तक हमारे बीच यानी जीवित है।


उदाहरण के लिए आपको बताते है, हम हनुमान जी की जयंती नही, जन्मोत्सव मानते है। क्योकि जयंती उनकी मानते है जो संसार मे नही है। हनुमान जी का जन्म हुआ लेकिन वह अब भी जीवित है, कलयुग में केवल हनुमान ही है जो अमर है और इस पृथ्वी लोक में विद्यमान है। इसलिए आप सभी हनुमान जी की जयंती नही जन्मोत्सव कहें।


दूसरा उदाहरण में हम महात्मा गांधी को लेते है, महात्मा गांधी का जन्म हुआ और वह अब हमारे बीच नही है तो हम लोग 2 अक्टूबर को उनकी जयंती मनाते है।


आमंत्रण और निमंत्रण में अंतर

अब हम जानेंगे आमंत्रण और निमंत्रण में क्या अंतर होता है, यह कैसे अलग अलग है।



आमंत्रण उसे कहते है जब हम किसी व्यक्ति विशेष को किसी विशेष अवसर पर आने के लिए आमंत्रित करते है, जिसमें उस महानुभाव को व्यक्तिगत रूप से आना जरूरी नही होता है। चलिए आमंत्रण को एक उदाहरण के रूप में समझने की कोशिश करते है। आप किसी सभा मे गए है और आपको मंच पर आमंत्रित किया जाता है।


 दूसरा उदाहरण आप के यहाँ शादी या अन्य शुभ कार्य है और आप किसी विशेष दोस्त या रिश्तेदार को आमंत्रित करते है। इसमे आमंत्रित व्यक्ति को आना जरूरी नही होता है। वह दूसरे किसी को भी भेज सकता है।


अब नम्बर आता है निमंत्रण का जिसमें आप किसी व्यक्ति को विशेष अवसर निमंत्रण भेजते है, या आप खुद उनसे मिलकर उन्हें निमंत्रण देते है। यहाँ निमंत्रण पाने वाले व्यक्ति को आना जरूरी होता है। 


इन दोनों बातो से स्पष्ट होता है कि आस पास के व्यक्ति को  किसी दूसरे के माध्यम से बुलावा भेजते है। जिसमे व्यक्तिगत रूप से आना जरूरी नही होता है और व्यक्तिगत रूप से मिलकर आने के लिए कहने को निमंत्रण कहते है, जिसमें आना जरूरी होता। 


आमंत्रण और निमंत्रण को भाषा की जननी 

संस्कृत में समझते हैं:-


निमन्त्रण = नियतरूपेण आह्वानं, नियोगकरणम् ।

आमन्त्रणम् = कामचारेण आह्वानम् आगच्छेत् वा न वा ।


अर्थात्


### निमन्त्रण:-

इस शब्द का प्रयोग तब किया जाता है जब निमन्त्रित व्यक्ति का आना आवश्यक या कर्तव्य समझा जाता है ।


### आमन्त्रण :-


इस शब्द का प्रयोग लोकाचार से बुलावा के लिए किया जाता है, निमंत्रित व्यक्ति आये या ना आये ।


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