हिंदुस्तान में किन्नरों का जीवन (KINNAR KI LIFE)
किन्नर का इतिहास.... (KINNAR)
किन्नर भी समाज का एक अंग है और उन्हें भी समाज में अधिकार दिया गया है। किन्नरो का इतिहास हजारो वर्ष पुराना है। यह भी कहा जाता है कि किन्नर राम राज्य और महाभारत के समय मे भी थे।
केवल इतना ही नहीं महाभारत में अर्जुन ने एक साल के लिये किन्नर का रुप लिया था। वहीं रामायण में राम के वनवास जाने के बाद उनके लौटने पर उन्होंने देखा कि वह जहाँ किन्नरों को छोड़कर गए थे वह वहीं उनका इंतजार कर रहे थे। उनकी भक्ति और उनका प्रेम देखकर राम ने खुश होकर वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा फलित होगा। इस कारण आज जिसे किन्नर का आशीर्वाद मिल जाए उसकी किस्मत रातोंरात चमक जाती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं उनके कुछ अनसुने और चौकाने वाले राज जो आपको शायद ही पता होगी।
कैसी होती है इनकी दिनचर्या
अधिकांश किन्नर सुबह 6 बजे तक उठ जाते हैं। नाश्ता करने के बाद ये काम पर निकल जाते हैं। किन्नरों की अधिकांश कमाई ट्रेनों में गाना गाकर और किसी के घर लड़का हुआ तो उन्हें बधाइयां देकर होती है। इसके अलावा वह दुकानदारों से पैसे मांगकर ये दिनभर में 2000 से 2500 रुपए तक कमा लेते हैं। शाम को यह वापस आपनी बस्ती लौट आते हैं। यह हुआ आम किन्नर समाज का, इनके अलावा भी कुछ किन्नर जो इनसे हट कर आज समाज के लिए बहुत कुछ कर रही है, और आम व्यक्ति की तरह जीवन भी जी रही है,
नए साथी का करते है धूम धाम से स्वागत
घर में बच्चे के आने पर जिस तरह से हम आप जश्न धूम-धाम से मनाते हैं उसी तरह किन्नर समाज में भी होता है। किन्नर अपने खेमे में आने वाली नए साथियों का स्वागत बहुत बड़ा जश्न मनाकर करते है।
किन्नर हमेशा खुश दिखते है, लेकिन वह अंदर से खुश नही
किन्नर का जीवन कोई पसंद नहीं करेगा भले ही वह किन्नर ही क्यों ना हो लेकिन वह अपने मिजाज से हँसमुख और खुश ही नजर आते। बल्कि अगर देखा जाए तो सच तो यह है कि किन्नर अपने जन्म से खुश नहीं होते हैं वह अपने पूरे जीवन में यही दुआ मांगते हैं कि वह अगले जन्म में कभी गलती से भी किन्नर ना बने। पुरुषो की तरह ही किन्नर भी बलशाली होते है। इतना ही नहीं बल्कि किन्नर को लेकर यह भी कहा जाता है वह कभी किसी के यहाँ मातम में नहीं जाते हैं बल्कि वह हमेशा ख़ुशी में शामिल होने जाते हैं।
किन्नरों की भी होती है शादी....!
- किन्नरों की साल में एक दिन शादी होती है, वह भी भगवान अरावन से। भगवान अरावन की मूर्ति को भ्रमण कराया जाता है। दूसरे ही दिन किन्नर अपना श्रृंगार उतारकर विधवा की तरह शोक मनाते हैं और सफेद कपड़े पहन लेते हैं।
रात में क्यो निकाली जाती है किन्नर की शव यात्रा
- किन्नर की शव यात्रा रात के वक्त निकाली जाती है। शव यात्रा को किसी गैर-किन्नर को देखने की इजाजत नहीं होती। माना जाता है कि अगर अंतिम संस्कार को कोई गैर-किन्नर देख लेेगा तो मरने वाला किन्नर अगले जन्म में भी किन्नर ही पैदा होगा।
- किन्नर बहुचरा माता की पूजा कर उनसे माफी मांगते हैं और दुआ मांगते हैं कि अगले जन्म में उन्हें किन्नर की तरह जन्म ना लेना पड़े।
- किन्नरों समाज हिन्दू धर्म को मानने वाले होते है, लेकिन इनके ज्यादातर गुरु मुस्लिम होते हैं।
दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के विल्लुपुरम स्थित कुवागम क्षेत्र को किन्नरों की सबसे बड़ी बस्ती है। किन्नरों के देवता अरावन का सबसे बड़ा मंदिर कुठंडावर इसी स्थान पर है। किन्नरों का वार्षिक त्योहार भी यहीं होता है, कहा जाए तो इनका लाइफ स्टाईल आम आदमियों की तरह ही होता है,